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Sunday, 28 December 2014

Providing a safe & stimulating learning environment ~ Good Morning Play School

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भारत के धार्मिक कुण्ड रोग मुक्ति के धाम

भारत में कई जगहों पर गर्म पानी के कुण्ड और झरने पाए जाते है। इनमे से अधिकतर कुंडों में विशेष औषधीय गुण होते है क्योंकि इनमे में कई तरह के खनिज तत्व उपस्थित होते हैं। इसलिए इन गर्म पानी के कुंडों में स्नान करने से कई तरह के रोग व बीमारियां ठीक हो जाती हैं, खासकर त्वचा सम्बन्धी। भारत में कई ऐसे कुण्ड है जो धार्मिक तीर्थस्थल पर है जिनसे इनका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। धार्मिक जगह और औषधीय गुणों के कारण यहां पर साल भ र लोगों की भीड़ लगी रहती है,तो आइए जानें इन कुण्डों के बारे में ।

  1. राजगीर में जल कुंड----पटना के समीप राजगीर को भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। राजगीर न सिर्फ एक प्रसिद्ध धार्मिक तीर्थस्थल है, बल्कि एक खूबसूरत हेल्थ रेसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है। देव नगरी राजगीर सभी धर्मो की संगमस्थली है। कथाओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र राजा बसु ने राजगीर के ब्रह्मकुंड परिसर में एक यज्ञ का आयोजन कराया था। इसी दौरान आए सभी देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी। तभी ब्रह्मा ने यहां 22 कुंड और 52 जलधाराओं का निर्माण कराया था। वैभारगिरी पर्वत की सीढिय़ों पर मंदिरों के बीच गर्म जल के कई झरने हैं, जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है। ऐसी संभावना जताई जाती है कि इसी पर्वत पर स्थित भेलवाडोव तालाब है, जिससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। इसकी वजह से जल गर्म और रोग को मिटाने वाला होता है।
  2. बकरेश्वर जल कुंड पश्चिम बंगाल-----बकरेश्वर, पश्चिम बंगाल का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इसकी पश्चिम बंगाल के भ्रमण स्थलों में एक अलग पहचान है, क्योंकि यहां गर्म पानी के 10 कुंड स्थित है। जिसमे सबसे गर्म कुण्ड , अग्नि कुण्ड (67ºC) है। इसके अलावा यहाँ पर भैरव(65ºC), खीर(66ºC), नृसिंह(66ºC), सूर्या(66ºC), सौभाग्य कुण्ड(45ºC), पापहरा कुण्ड(48ºC) आदि अन्य कुण्ड है। इन कुंडों में स्नान से कई रोग दूर हो जाते हैं। यहां देश के कोने-कोने से लोग पवित्र कुंडों में स्नान के लिए आते हैं।
  3. मणिकरण हिमाचल प्रदेश------मणिकरण हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर है। यह जगह खासतौर पर गर्म पानी के चश्मों के लिए जानी जाती है। यहां के जल में अधिक मात्रा में सल्फर, यूरेनियम व अन्य रेडियोएक्टिव तत्व पाए जाते हैं। इस पानी का तापमान बहुत अधिक है। यह स्थान हिंदू व सिखों के लिए आस्था का केंद्र है। साथ ही, माना जाता है कि सिखों के पहले गुरु नानक देव अपने साथी मर्दाना के साथ यहां आए थे। यह गुरुद्वारा उन्हीं की याद में बना है। यहां आने वाले लोगों को गर्म पानी के कुंड से पानी लेकर दाल-चावल बनाते देखा जा सकता है।
  4. अत्रि जल कुंड, ओडिशा------ओडिशा का अत्रि जल कुंड उसके सल्फर युक्त गर्म पानी के कुंडों के लिए प्रसिद्ध है। यह जलकुंड भुबनेश्वर से 42 कि.मी. दूर स्थित है। इस कुंड के पानी का तापमान 55 डिग्री है। कुंड में स्नान करने से बहुत ताजगी महसूस होती है व थकान दूर हो जाती है।
  5. यूमेसमडोंग सिक्किम-----यूमेसमडोंग सिक्किम के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। उत्तर-पूर्वी राज्य में स्थित ये कुंड 15500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यूमेसमडोंग में 14 सल्फर के जल से युक्त कुंड हैं। जिनका तापमान लगभग 50 डिग्री रहता है। इनमे सबसे प्रसिद्ध बोरोंग और रालोंग है जहाँ साल भर पर्यटकों का तांता लगा रहते है।
  6. पनामिक लद्दाख-------यह वैली सियाचिन ग्लैशियर से 9 कि..मी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थान गर्म पानी के कुंड के लिए भी जाना जाता है। यहां का पानी बहुत अधिक गर्म होता है। पानी से बुलबुले निकलते दिखाई देते हैं। पानी इतना गर्म होता है कि इसे छुआ नहीं जा सकता।
  7. तुलसी श्याम कुण्ड, गुजरात-----तुलसी श्याम कुण्ड, जूनागढ़ से 65 किलो मीटर की दुरी पर स्तिथ है। यहाँ पर गर्म पानी के तीन कुण्ड है। इनकी खासियत यह है की तीनो में अलग-अलग तापमान का पानी रहता है। तुलसी श्याम कुण्ड के पास ही 700 साल पुराना रुकमणि देवी का मंदिर है।
  8. झारखंड के 60 गर्म पानी के कुण्ड-------गर्म पानी के स्रोतों के मामले में झारखण्ड, भारत में सबसे आगे है। यहाँ पर 60 हॉट वाटर स्प्रिंग्स है।
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सुदर्शन चक्र के वारे में कुछ विशेष

सुदर्शन चक्र का नाम श्रीकृष्णजी के नाम के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। अति आवश्यक होने पर ही इसका प्रयोग किया जाता रहा है। यह खुद जितना रहस्यमय है उतना ही इसका निर्माण और संचालन,तो आइए जानें कुछ बातें सुदर्शन चक्र के बारे में।
  1. भगवान विश्वकर्मा की बेटी का विवाह भगवान सूर्य से हुआ था। शादी के बाद भी उनकी बेटी खुश नहीं थी, कारण, सूर्य की गर्मी और उनका ताप जिसके कारण वो अपना वैवाहिक जीवन नहीं जी पा रही थी, और फिर बेटी के कहने पर भगवान ने सूर्य से थोड़ी सी चमक और ताप ले के पुष्पक विमान का निर्माण किया।
    इसके साथ ही साथ भगवान शिव के त्रिशूल और भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र का निर्माण किया था।
  2. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु के तप से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें दुश्मनों का नाश करने के लिए चक्र भेट में दिया था।
  3. पुराणों व अन्य धर्मग्रंथों में जिन अस्त्र-शस्त्रों का विवरण मिलता है उनमें सुदर्शन चक्र भी एक है। विभिन्न देवताओं के पास अपने-अपने चक्र हुआ करते थे।
  4. शंकरजी के चक्र का नाम भवरेंदु था। विष्णुजी के चक्र का नाम कांता चक्र था। देवी के चक्र को मृत्यु मंजरी के नाम से जाना जाता था।
  5. सुदर्शन चक्र का नाम आते ही विराट रूप वाले श्रीकृष्ण का चित्र उभर आता है। सुदशर्न-चक्र का नाम भगवान कृष्ण के नाम के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।
  6. परमाणु-बम के समान ही सुदर्शन चक्र के विज्ञान को भी अत्यंत गुप्त रखा गया है। गोपनीयता शायद इसलिये रखी गई होगी कि इस अमोघ अस्त्र की जानकारी देवताओं को छोड़ दूसरों को ना लग जाये।
  7. प्राचीन और प्रामाणिक शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इसका निर्माण भगवान शंकर ने किया था। निर्माण के बाद भगवान शिव ने इसे श्री विष्णु को सौंप दिया था। जरुरत पडऩे पर श्री विष्णु ने इसे देवी को प्रदान कर दिया।
  8. इस आयुध की खासियत थी कि इसे तेजी से हाथ से घुमाने पर यह हवा के प्रवाह से मिल कर प्रचंड़ वेग से अग्नि प्रज्जवलित कर दुश्मन को भस्म कर देता था। यह अत्यंत सुंदर, तीव्रगामी, तुरंत संचालित होने वाला एक भयानक अस्त्र था।
  9. भगवान श्री कृष्ण के पास यह देवी की कृपा से आया। यह चांदी की शलाकाओं से निर्मित था। इसकी ऊपरी और निचली सतहों पर लौह शूल लगे हुए थे। इसके साथ ही इसमें अत्यंत विषैले किस्म के विष, जिसे द्विमुखी पैनी छुरियों मे रखा जाता था, इसका भी उपयोग किया गया था। इसके नाम से ही विपक्षी सेना में मौत का भय छा जाता था।

भारत के रहस्यमय मंदिर




पूरे विश्व में सबसे ज्यादा मंदिर भारत में है,पर क्या आपको पता है कि यहां के कुछ ऐसे मंदिर है जो रहस्यों से भरे हुए है और उस रहस्य को आज तक कोई जान नहीं पाया है,तो आइए तस्वीरों के जरिए जानें उन रहस्यमयी मंदिरों के बारे में -


कन्याकुमारी मंदिर - समुद्री तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है, जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बच गए दाल-चावल बाद में कंकर बन गए। आश्चर्यजनक रूप से कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के कंकर बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं।

ततवानी मंदिर, हिमाचल प्रदेश- धर्मशाला से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस मंदिर को गर्म पानी के झरनों का घर माना जाता है। इस मंदिर के बाहर गर्म पानी का एक प्राकृतिक झरना है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस मंदिर के गर्म पानी में नहाता है उसके सारे रोग मिट जाते हैं।

काल भैरव मंदिर, मध्य प्रदेश- उज्जैन से कुछ दूरी पर स्थित शिव के काल भैरव स्वरूप को समर्पित इस मंदिर में सिर्फ मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाता है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जैसे मदिरा का कटोरा काल भैरव के मुंह के साथ लगाया जाता है, उसमें से मदिरा गायब हो जाती है। अभी तक कोई भी इस पहेली का जवाब नहीं खोज पाया कि पत्थर की मूर्ति से मदिरा जाती कहां है।

स्तम्भेश्वर महादेव, गुजरात-वडोदरासे 40 मील दूरी पर कवि कम्बोई नाम की जगह है, जहां स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। वडोदरा का ये मंदिर कभी दिखता तो कभी गायब हो जाता है। अरब सागर के खंभात की खाड़ी में स्थित यह मंदिर 150 वर्ष पुराना है। अरब सागर में आने वाली तेज लहरों में इस मंदिर का शिवलिंग छिप जाता है और लहरों की गति धीरे होते ही फिर से शिवलिंग नजर आने लगता है।


करणीमाता का मंदिर -करणीमाता का मंदिर राजस्थान राज्य के एतिहासिक नगर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है। करणी देवी साक्षात मां जगदम्बा की अवतार थीं। मंदिर में हजारों चूहे निडर हो कर घूमते रहते हैं। यहां चूहो की पूजा की जाती है और उन्हें दूध, अनाज एवं मिठाई चढ़ाई जाती है।

शनि शिंगणापुर- देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्वप्रसिद्ध इस मंदिर की विशेषता है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। शहर में भगवान शनि महाराज का खौफ इतना है कि शहर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं हैं। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यहां पर विश्वभर से प्रति शनिवार लाखों लोग आते हैं।

ओम बन्ना मंदिर- राजस्थान के जोधपुर व उसके आसपास के इलाकों में ओम बन्ना के श्रद्धालुओं की बड़ी तादाद है। जोधपुर-पाली हाईवे नंबर 65 पर स्थित इस मंदिर में ओम बन्ना की मोटरसाइकिल रखी है। चोटिला गांव के निवासी ओम सिंह राठौड़ का इस मार्ग पर 2 दिसंबर 1988 को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। मंदिर की खासियत है कि इसमें ओम बन्ना की मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है उनकी बाइक थाने में रख दी गई जो वापस दुर्घटना स्थल पर पहुंच गई। बाद में यहां उनका मंदिर बना दिया गया। ओम बन्ना शेखावाटी सहित पाली, जोधपुर, जैसलमेर में सड़क सुरक्षा के देवता की तरह पूजे जाते हैं।


ज्वाला मंदिर- देश के 51 शक्तिपीठों में शामिल मां के इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव सती को लिए घूम रहे थे तब यहां उनकी जीभ गिरी थी। कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज में पांडवों का बड़ा योगदान रहा है। इस मंदिर में दर्शन के लिए जो भी आता है और मन से प्रार्थना करता है उसकी अरदास मां जरूर सुनती है। नवरात्र के दिनों में यहां देश-विदेश से अनेक श्रद्धालु आते हैं।

मेहन्दीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान- राजस्थान के दौसा जिले में स्थित यह मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। बहुत से लोग इस मंदिर के महत्व से परिचित होंगे। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में शैतानी शक्तियों से इंसानों को बचाया जाता है। वे लोग जो भूत-प्रेत जैसी परेशानियों का सामना कर रहे हैं वे इस मंदिर में आकर राहत पा सकते हैं।



दुनिया की सबसे गहरी और बड़ी चांद बावली- निर्माता- निकुंभ वंश के राजा चंदा ने 8 वीं या नवीं शताब्दी



भारत में भले ही इस स्थान का नाम अधिक लोग न जानते हों लेकिन विदेशी पर्यटकों के बीच दुनिया की सबसे गहरी और बड़ी चांद बावली ताजमहल जितनी ही लोकप्रिय है।


राजस्थान के बांदीकुई के आभानेरी इलाके में दुनिया की सबसे गहरी और पुरानी बावली है। राजपुताना स्थापत्यकला का यह बेजोड़ नमूना 1200 साल पहले तैयार किया गया था। निकुंभ वंश के राजा चंदा ने 8 वीं या नवीं शताब्दी में इसको बनवाया था। इसका मकसद हमेशा पानी के लिए त्राहि-त्राहि करने वाले राजस्थान के राजघराने और उनकी रियासत के लोग कभी पानी से महरूम न रह सकें। पानी का स्तर कितना भी कम क्यों न हो जमीन से सौ फीट गहरी चांद बावली में मिल ही जाता था।


इंसान की बनाई इस बावली में चारों ओर से संकरी 3500 सीढि़यां हैं जो सौ फीट की गहराई तक लेकर जाती हैं। इस बावली के चारों ओर बनी इमारत में भगवान शिव समेत हिंदू देवी-देवताओं की अलंकृत मूर्तियों और खूबसूरत झरोखों में राजपूतों की स्थापत्यकला का बेजोड़ नमूना देखने को मिलता है।


आज भी यह बावली बरसात के मौसम में तो पानी से लबालब होती है। लेकिन भीषण गर्मी में भी पानी उपलब्ध होता है। हजार साल से भी पुरानी इस इमारत को बहुत ही वैज्ञानिक आधार पर बनवाया गया था।


गहरे रंग के ज्वालामुखी के पत्थरों से बनी इस पूरी इमारत में जल संचित करने का अद्भुत गुण है। इन सांद्र चट्टानों में महीन छेद हैं जो बारिश के मौसम में जमीन से रिसकर बावली को भरने का काम करते हैं।
इतना ही नहीं, नीचे बावली के तल में लगी चट्टानें इस पानी को जरा भी नहीं सोखती हैं। इसकी सतह और तल के बीच में हमेशा 5 से 6 डिग्री सेल्सियस तापमान का फर्क हमेशा पाया जाता है।
इस बावली में ज्यामितीय आकारों के कई चमत्कारिक डिजाइन देखने को मिलते हैं।
पौराणिक कथाओं पर आधारित कलात्मक मूर्तियों की नक्काशी से इस पूरी बावली को सजाया-संवारा गया है।


साभार- http://www.jagran.com/photogallery-6101-8.html#photodetail
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Tuesday, 16 December 2014

मौर्य राजवंश (322 से185 ईसा पूर्व)


मौर्य राजवंश 322 से185 ईसा पूर्व का प्राचीन भारत का एक राजवंश था। इस वंश का भारत में 137 वर्ष  राज्य रहा। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री आचार्यचाणक्य को  जाता है, जिन्होंने नंदवंश के सम्राट घनानन्द को पराजित किया। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य(आज का बिहार एवं बंगाल) में गंगा नदी के मैदानों  से शुरू हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी।इस साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ईसा पूर्व में  की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फ़ायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। उसने यूनानियों को मार भगाया। और यूनानी सेनापति सेल्यूकस को अपनी कन्या का विवाह चंद्रगुप्त से करना पड़ा। मेगस्थनीज इसी के दरबार में आया था।
चंद्रगुप्त की माता का नाम मुरा था। इसी से यह वंश मौर्यवंश कहलाया। चंद्रगुप्त के बाद उसके पुत्र बिंदुसार ने 298 ई.पू. से 273 ई. पू. तक राज्य किया। बिंदुसार के बाद उसका पुत्र अशोक273 ई.पू. से 232 ई.पू. तक गद्दी पर रहा। अशोक के समय में कलिंग (आधुनिक ओड़ीसा) का भारी नरसंहार हुआ जिससे द्रवित होकर उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया। 316 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था । अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ। अशोक के उत्तराधिकारी अयोग्य निकले। इस वंश के अंतिम राजा बृहद्रथ मौर्य था। 185 ई.पू. में उसके सेनापति पुष्यमित्र ने उसकी हत्या कर डाली और शुंगवंश नाम का एक नया राजवंश आरंभ हुआ।

इस वंश के शासकों की क्रमानुसार सूची

  • चन्द्रगुप्त मौर्य 322 ईसा पूर्व- 298 ईसा पूर्व
  • बिन्दुसार 297 ईसा पूर्व -272 ईसा पूर्व
  • अशोक 273 ईसा पूर्व -232 ईसा पूर्व
  • दशरथ मौर्य 232 ईसा पूर्व- 224 ईसा पूर्व
  • सम्प्रति 224 ईसा पूर्व- 215 ईसा पूर्व
  • शालिसुक 215 ईसा पूर्व- 202 ईसा पूर्व
  • देववर्मन् 202 ईसा पूर्व -195 ईसा पूर्व
  • शतधन्वन् मौर्य 195 ईसा पूर्व 187 ईसा पूर्व
  • बृहद्रथ मौर्य 187 ईसा पूर्व- 185 ईसा पूर्व

Monday, 15 December 2014

शिशुनाग वंश

  • शिशुनाग वंश किस स्थान से संबंधित एक प्राचीन राजवंश था?
     मगध राज्य (दक्षिण बिहार, भारत) का
  • शिशुनाग वंश  का संस्थापक किसे माना जाता है। जिसके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा।
  • शिशुनाग को
  •  इस वंश का शासनकाल किस प्रमुख राजा के बाद का था।
  • बिम्बिसार और अजातशत्रु के बाद 
  • शिशुनाग वंश किसका समकालीन है,
  • बुद्ध के समकालीन
  •  आमतौर पर इस काल को किस वंश से ठीक पहले का माना जाता है।
  •  नंद वंश से 
  •  शिशुनाग वंश का शासन काल कब से कब तक का है।
  •  लगभग पाँचवीं ई. पू. से चौथी शताब्दी के मध्य तक का
  • शिशुनाग वंश के राजाओं ने किस स्थान को मगध की  राजधानी बनाया था
  • इस वंश के राजाओं ने  मगध की प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर को राजधानी बनाया। और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया।
  • शिशुनाग ने अवंति के किस शासक को हराकर अवंति (मध्य भारत) को मगध साम्राज्य का अंग बनाया था
  • अवंति के शासकअवंतिवर्द्धन को हराकर अवंति को अपने साम्राज्य में  सम्मिलित कर लिया।
  • शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को किन दो प्रमुख घटनाओं के लिए जाना जाता है
  •  प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है-
      1-वैशाली में दूसरी 'बौद्ध परिषद' की बैठक और  
      2- पाटलिपुत्र  (आधुनिक पटना) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।

  • शिसुनाग वंश का पतन कब हुआ
  • शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी मगध के मौर्य वंश से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है।
  • कालाशोक के बाद इस वंश का शासक कौन था
  • पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।
  • कालाशोक की हत्या किसने की थी
  • माना जाता है कि नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद द्वारा कालाशोक की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया।
नोट-----शिशुनाग वंश  का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह मगध साम्राज्य के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।

Sunday, 14 December 2014

इटली में फासिस्‍टों का उदय और उससे जुड़े तथ्‍य और जानकारियां

फासीवाद या फासिस्टवाद इटली में बेनितो मुसोलिनी द्वारा संगठित फासिओ डि कंबैटिमेंटो का राजनीतिक आंदोलन था जो मार्च, 1919 में प्रारंभ हुआ. इसकी प्रेरणा और नाम सिसिली के 19वीं सदी के क्रांतिकारियों-फासेज़ से ग्रहण किए गए. मूल रूप में यह आंदोलन समाजवाद या साम्यवाद के विरुद्ध नहीं, बल्कि उदारतावाद के विरुद्ध था.
(1) फासिस्‍ट प्रथम विश्‍वयुद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों से असंतोष और सैनिकों की छटनी से पैदा हुए अराजक हालात को सुधारने के लिए मुसोलिनी ने भूतपूर्व सैनिकों की मदद से मिलान में एक संगठन बनाया जिसे फासिस्‍ट कहा जाता है।

(2)
 सर्वप्रथम फासिज्‍म का उदय कहाँ हुआ?
      इटली में 
(3) फासीवाद दल के स्‍वंयसेवकों की पोशाक कैसी थी?
  काली कमीज रंग की कमीज पहनते थे। 
(4)
 फासिज्‍म का जन्‍मदाता किसको माना जाता है ?
       
बेनितो मुसोलिनी को 
(5) मुसोलिनी ने किसको सेना का अधिकारी नियुक्‍त किया ?
      
डियाज को 
(6)
 मुसोलिनी ने किसके साथ रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी (1939 ई.) का निर्माण किया ?
      
जापान और जर्मनी के साथ 
(7)
 मुसोलिनी ने दूसरे विश्‍वयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों के खिलाफ कब युद्ध का एलान किया. 
      
10 जून 1939 ई. में
(8)
 मुसोलिनी का जन्‍म कब व कहाँ हुआ. 
      
 1883 ई. में रोमाग्‍ना में
(9)
 मुसोलिनी के दल का नाम क्या था. 
      
फासिस्‍टवाद
(10)
मुसोलिनी को किस अन्य नाम से पुकारा जाता था. 
       
 ड्यूस के नाम से
(11)
 फासीवादी किस विचारधारा का समर्थन करते थे. 
       
राष्ट्रवाद का 
(12)
 मुसोलिनी द्वारा कितने निगम बनाए गए थी. 
          
22 निगम बनाऐ गये थे।  
(13) किस निगम का अध्यक्ष मुसोलिनी थी उस निगम में कितने सदस्य थे?
   राष्ट्रीय निगम परिषद् का अध्‍यक्ष मुसोलिनी था. जिसकी सदस्‍यों की संख्‍या 500 थी. 
(14)
 ग्रैण्‍ड कौंसिल ऑफ फासिस्‍ट पार्टी के सदस्‍यों की संख्‍या कितनी थी. 
        
सदस्‍यों की संख्‍या 25 थी।
(15)
 मुसोलिनी ने रोम पर कब आक्रमण किया ? 
        
अक्‍टूबर 1922 ई. में रोम पर
(16)
 इटली में फासीवाद का अंत कब से हुआ माना जाता है?
        28 अप्रैल 1945 ई. को 
(17)  मुसोलिनी ने अबीसीनिया पर कब आक्रमण किया ?
          1935 ई. में


इटली का एकीकरण Italian unification (1815–1861)

इटली एकीकरण को इतालवी भाषा में इल रिसोरजिमेंतो The Il Risorgimento  कहते हैं 19वी  सदी में इटली में एक राजनैतिक और सामाजिक अभियान शुरू हुआ जिसने इटली प्रायद्वीप के विभिन्न राज्यों को संगठित करके एक इतालवी राष्ट्र बना दिया. इसे इटली एकीकरण कहा गया. इटली का एकीकरण सन 1815 में इटली पर नेपोलियन बोनापार्ट के राज के अंत पर होने वाले वियेना सम्मलेन के साथ आरंभ हुआ और 1870 में  राजा वित्तोरियो इमानुएले की सेनाओं द्वारा रोम पर कब्‍जा होने तक चला. 
(1)  इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक कौन सा देश था?
            इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक ऑस्ट्रिया था।
(2)
  किस राज्य ने इटली के एकीकरण की अगुआई की थी ?
     सार्डनिया पीडमौंट राज्‍य ने इटली के एकीकरण में अगुवाई की.
(3)  
किसने इटली की समस्‍या को अंतर्राष्ट्रीय समस्‍या बना दिया?
              काउंट काबूर ने
(4)   
इटली के एकीकरण का श्रेय किसको दिया जाता है ? 
         मेजिनीकाउंट काबूर और गैरीबाल्‍डी को
(5)  
इटली के एकीकरण की तलवार किसे कहा जाता है?
     गैरीबाल्‍डी को
(6) 
यंग इटली की स्‍थापना किसने व कब की थी ?
          1831 ई. में जोसेफ मेजिनी ने
(7)   
लाल कुरती नाम से सेना का संगठन किसने किया था ?  
          गैरीबाल्‍डी ने लाल कुरती नाम से सेना का संगठन किया था.
(8)  
कार्बोनरी सोसायटी का संस्‍थापक कौन था ?  
    गिवर्टी
(9) किन राज्यों के मिल जाने से इटली के एकीकरण की शुरुआत हुयी 
         
लोम्‍बर्डी और सार्डिनिया के राज्‍यों के मिलने से
(10)   
इटली देश का जन्‍म कब हुआ माना जाता है ?
               2 
अप्रैल 1860 ई. से
(11)  
रोम को संयुक्‍त इटली की राजधानी कब घोषित किया गया ?
               1871 
में
(12)  
यह कथन किसकाथा?--- “ यदि समाज में क्रांति लानी हो तो क्रांति का नेतृत्‍व नवयुवको के हाथ में दे दो
                 
जोसेफ मेजिनी का
(13)   इटली का एकीकरण 1871 ई. में किसने किया ?. 
              काउंट काबूर ने
(14)  
इटली की एकता का जन्‍मदाता कौन था ? . 
         नेपोलियन
(15) 
सार्डिनिया का शासक कौन था  ?   .
        
विक्‍टर एमैनुएल
(16)  
इटली के एकीकरण का जनक किसको माना जाता है .
        
जोसेफ मेजिनी को 
(17)   19 सदी के पूर्वार्द्ध में (एकीकरण से पहले) इटली में कितने राज्य थे ? .
       13 राज्‍य
(18 ) मेजिनी का जन्‍म कहाँ हुआ था  ? .
    जेनेवा में


फ्रांस की राज्य क्रांति 1789 ई.


फ्रांसीसी क्रांति का समय फ्रांस के इतिहास में राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल और आमूल चूल परिवर्तन करने वाला समय था ,जिसके दौरान फ्रांस की वह सरकारी सामंती शासन सरंचना पूर्णतः बदल गयी जिसमें पहले कुलीन और कैथोलिक पादरियों के लिए सामंती विशेषाधिकार दिये गये थे इसके साथ ही यह पूर्णतया राजशाही पद्धति पर आधारित थी, अब उसमें आमूल चूल परिवर्तन हुए और यह नागरिकता और अविच्छेद अधिकारों के प्रबोधन सिद्धांतों पर आधारित हो गयी. इन परिवर्तनों के साथ ही वयापक रुप से हिंसक उथल पुथल हुई जिसमें राजा का परीक्षण और निष्पादन, आतंक के युग में विशाल रक्तपात और दमन शामिल था. 
(1) फ्रांस की राज्यक्रांति कब व किसके शासनकाल में हुई ? 
       फ्रांस की राज्यक्रांति 1789 ई. में लूई सोलहवां के शासनकाल में हुई।
(2) फ्रांस की राज्यक्रांति के समय फ्रांस में किस प्रकार की शासन व्यूवस्था थी. 
    फ्रांस की राज्यक्रांति के समय फ्रांस में सामंती व्यूवस्था थी।
(3) 14 जुलाई,1789 ई. को फ्रांस में कौन सी प्रसिद्ध घटना हुयी ? 
    14 जुलाई, 1789 ई. को क्रांतिकारियों ने बास्तील के कारागृह फाटक को तोड़कर बंदियों को मुक्त कर दिया. तब    से 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
(4) फ्रांस की राज्यक्रांति की समाज को क्या देन हैं? 
    समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे का नारा फ्रांस की राज्याक्रांति की देन है। 
(5) किसने कहा था कि " मैं ही राज्य हूं और मेरे ही शब्द कानून हैं"?
    मैं ही राज्य हूं और मेरे ही शब्द कानून हैं-ये कथन लुई चौदहवां का है। 
(6) वर्साय के शीश महल का निमार्ण किसने करवाया ?
    वर्साय के शीश महल का निमार्ण लुई चौदहवां ने करवाया। 
(7) किसने वर्साय को फ्रांस की राजधानी घोषित किया ? 
       लुई चौदहवें ने वर्साय को फ्रांस की राजधानी घोषित किया। 
(8) लुई सोलहवां फ्रांस की गद्दी पर कब बैठा ?
     लुई सोलहवां फ्रांस की गद्दी पर 1774 ई. में बैठा।  
(9) लुई सोलहवां की पत्नी मेरी एंत्वा नेता कहाँ की राजकुमारी थी ?
       लुई सोलहवां की पत्नी मेरी एंत्वा नेता अस्ट्रिया की राजकुमारी थी।
(10) लुई सोलहवां को किस अपराध में फांसी दी गई ?
     लुई सोलहवां को देशद्रोह के अपराध में फांसी की सजा दी गई।

(11) टैले क्या था ?
    टैले एक प्रकार का भूमिकर था। 
(12) फ्रांसीसी क्रांति में सबसे अहम योगदान किन लोगों का था ?
फ्रांसीसी क्रांति में सबसे अहम योगदान वाल्टे‍यर, मौटेस्यू एवं रूसो का था.।
(13) आल्टेयर कौन था ?
    आल्टेयर एक चर्च का विरोधी था। 
(14) फ्रांस की क्रांति के संबंध में रूसो कौनथा ? 
        रूसो फ्रांस में लोकतंत्र शासन पद्धति का समर्थक था।.
(15) सौ चूहों की अपेक्षा एक सिंह का शासन उत्तम है-ये कथन किसके थे ?
सौ चूहों की अपेक्षा एक सिंह का शासन उत्तम है-ये कथन वालटेयर के थे। 
(16) सोशल कांट्रेक्ट किसकी रचना है ?
        सोशल कांट्रेक्ट रूसो की रचना है।
(17) लेटर्स ऑन इंगलिश किसकी रचना है ?
    लेटर्स ऑन इंगलिश वालटेयर की रचना है। 
(18) कानून की आत्मा की रचना किसने की ?
  .  कानून की आत्मा की रचना मौटेस्यू ने की।
(19) स्टेट्स जनरल के अधिवेशन की शुरुआत कब हुई.? 
         स्टेट्स जनरल के अधिवेशन की शुरुआत 5 मई 1789 ई. को हुई।
(20) मापतौल की दशमलव प्रणाली किस देश की देने है ?
     मापतौल की दशमलव प्रणाली फ्रांस की देन है। 
(21) सांस्कृतिक राष्ट्रियता का जनक किसको कहा जाता है ? 
        सांस्कृतिक राष्ट्रियता का जनक हर्डर को कहा जाता है। 
(22) नेपोलियन का जन्म कब हुआ ? 
         नेपोलियन का जन्म 15 अगस्त 1769 ई. में हुआ।
(23) नेपोलियन का जन्म कहाँ हुआ ? 
         नेपोलियन का जन्म कोर्सिका द्वीप की राजधानी अजासियो में हुआ।
(24) नेपोलियन के पिता का क्या नाम था ? 
         नेपोलियन के पिता का नाम कार्लो बोनापार्ट था।
(25) नेपोलियन ने सैनिक शिक्षा कहाँ प्राप्त की थी ?
         नेपोलियन ने ब्रिटेन की सैनिक अकादमी में शिक्षा प्राप्ता की थी।
(26) इटली में ऑस्ट्रिया (1796 ई.) के प्रमुख को किसने समाप्त किया ? 
         नेपोलियन ने इटली में ऑस्ट्रिया (1796 ई.) के प्रमुख को समाप्त किया।
(27) फ्रांस में डायरेक्टरी के शासन का अंत कब हुआ ? 
         फ्रांस में डायरेक्टरी के शासन का अंत 1799 ई. में हुआ।
(28) पहली बार नेपोलियन कॉन्सयल कब बना ? 
          पहली बार नेपोलियन 1799 ई. में कॉन्सयल बना।
(29) जीवनभर के लिए नेपोलियन कॉन्सल कब बना ? 
         जीवनभर के लिए नेपोलियन 1802 ई. में कॉन्सल बना।
(30) नेपोलियन फ्रांस का सम्राट कब बना ? 
         नेपोलियन फ्रांस का सम्राट 1804 ई. में बना। 
(31) किसे आधुनिक फ्रांस का निमार्ता माना गया है ? 
        आधुनिक फ्रांस का निमार्ता नेपोलियन को माना गया है।.
(32) इंग्लैंड को बनियों का देश सबसे पहले किसने कहा था ? 
         इंग्लैंड को बनियों का देश सबसे पहले नेपोलियन ने कहा था।
(33) नेपोलियन की पहली पत्नी का नाम क्या था ?
         नेपोलियन की पहली पत्नी का नाम जोजे फाइन था।
(34) इंगलैंड और नेपोलियन के बीच कौन सा युद्ध 21 अक्टूबर 1805 ई. में हुआ ? 
         स्ट्राल्फ्कगर का युद्ध 21 अक्टूबर 1805 ई. में इंगलैंड और नेपोलियन के बीच हुआ।
(35) बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना 1कब व किसने की ? 
         बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना 1800 ई. में नेपोलियन ने की।
(36) किस संग्रह को नेपोलियन द्वारा तैयार कानूनों का संग्रह कहा गया ? 
         नेपोलियन का कोड नेपोलियन द्वारा तैयार कानूनों का संग्रह कहा गया।
(37) किस स्थान पर नेपोलियन को बंदी बनाकर रखा गया था ? 
         एल्बा के टापू पर नेपोलियन को बंदी बनाकर रखा गया था। 
(38) किस सेना ने नेपोलियन को वॉटर लू युद्ध में (18 जून 1815 ई.) में पराजित किया ? 
         मित्र राष्ट्रों की सेना ने नेपोलियन को वॉटर लू युद्ध में (18 जून 1815 ई.) में पराजित किया।
(39) नेपोलियन की मृत्यु कब हुई ? 
         नेपोलियन की मृत्यु 1821 ई. में हुई। 
(40) लिट्ल कारपोरल के नाम से किसे जाना जाता था ?
         नेपोलियन को लिट्ल कारपोरल के नाम से जाना जाता था।
(41) नेपोलियन के पतन का क्या कारण था ? 
        नेपोलियन के पतन का कारण रूस पर आक्रमण करना था।
(42) नेपोलियन ने महाद्विपीय व्योवस्था का सुत्रपात क्यों किया ?
         इंगलैंड के कारोबार का बहिष्कार करने के लिए नेपोलियन ने महाद्विपीय व्योवस्था का सुत्रपात किया।
(43) किस समझौते के तहत यूरोप के देशों ने फ्रांस के प्रभुत्व को 1815 ई. में खत्म किया ? 
         विएना समझौते के तहत यूरोप के देशों ने फ्रांस के प्रभुत्व को 1815 ई. में खत्म किया।
(44) किस युद्ध में अंग्रेजी जहाजी बेड़े के नायक नेल्सन के हाथों नेपोलियन को बुरी तरह पराजित होना पड़ा ?.
नेपोलियन को नील नदी के युद्ध में अंग्रेजी जहाजी बेड़े के नायक नेल्सन के हाथों बुरी तरह पराजित होना पड़ा।